यूपी में तैयार होगा 750 KM का मेगा कॉरिडोर, 1500 करोड़ की लागत, इन 22 जिलों की किस्मत बदलेगी

उत्तर भारत का नया पानीपत–गोरखपुर हाईस्पीड कॉरिडोर यूपी और हरियाणा की कनेक्टिविटी को नई दिशा देने वाला मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है। करीब 750 किमी लंबा यह एक्सप्रेसवे 22 जिलों को जोड़ेगा और औद्योगिक, व्यापारिक व रोजगार के अवसरों को तेज़ रफ्तार देगा। यह प्रोजेक्ट पूर्वी-पश्चिमी यूपी को विकास की नई स्पीड से जोड़ने जा रहा है।

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देश का ट्रैफिक स्ट्रक्चर तेजी से मॉडर्न हो रहा है, और अब उत्तर प्रदेश–हरियाणा के बीच बनने वाला पानीपत–गोरखपुर हाईस्पीड कॉरिडोर इस बदलाव का प्रमुख हिस्सा बनने जा रहा है। यह प्रोजेक्ट अब सिर्फ़ एक प्रस्ताव नहीं, बल्कि ग्राउंड पर उतरता हुआ एक मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन है जो आने वाले वर्षों में उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था, यात्रा प्रणाली और रोजगार पर बड़ा असर डालेगा।

देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बनने की तैयारी

करीब 750 किलोमीटर की अनुमानित लंबाई वाला यह कॉरिडोर देश का सबसे लंबा हाईस्पीड एक्सप्रेसवे माना जा रहा है। पानीपत से शुरू होकर गोरखपुर तक यह हाइवे सीधा जोड़ बनाएगा, जिससे उत्तर भारत में seamless connectivity संभव होगी। पूरी सड़क access-controlled होगी, यानी बीच में अनावश्यक कट या क्रॉसिंग नहीं होंगे। इससे न सिर्फ़ ट्रैफिक स्मूथ रहेगा, बल्कि सड़क सुरक्षा भी कई गुना बढ़ जाएगी।

डीपीआर लगभग तैयार और मार्च से स्पीड पर काम

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने इस प्रोजेक्ट की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट को लगभग तैयार कर लिया है। उम्मीद है कि मार्च 2025 से इसका काम युद्धस्तर पर शुरू हो जाएगा। योजना के अनुसार, इसे कई पैकेजों में बांटकर अलग-अलग हिस्सों में construction एक साथ शुरू कराया जाएगा, ताकि तय समय सीमा के भीतर एक्सप्रेसवे पूरा हो सके।

22 जिलों को जोड़ेगा नया आर्थिक कॉरिडोर

यह हाईस्पीड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के 22 प्रमुख जिलों सहारनपुर, मेरठ, बिजनौर, रामपुर, हरदोई, लखनऊ, बहराइच, संतकबीरनगर और गोरखपुर जैसे शहरों को नई पहचान देगा। इससे पश्चिमी और पूर्वी यूपी के बीच यात्रा और व्यापार का पैटर्न पूरी तरह बदल जाएगा। पहले जो दूरी घंटों की परेशानी बनती थी, अब वह कम समय और कम थकान में पूरी की जा सकेगी।

औद्योगिक विकास को मिलेगी नई स्पीड

इस कॉरिडोर को सिर्फ़ सड़क नहीं, बल्कि एक “Economic Corridor” के रूप में डिजाइन किया गया है। इसके दोनों ओर Industrial Parks, Logistics Hubs, Warehousing Zones और Transport Townships विकसित करने की योजना है। हरियाणा और पश्चिमी यूपी के इंडस्ट्रियल एरिया से सीधे पूर्वी यूपी के कृषि और छोटे उद्योग केंद्रों तक कनेक्टिविटी मिलने से निवेश और रोजगार दोनों तेज़ी से बढ़ेंगे। इससे SME sector, dairy units और textile industry को cost-effective transport support मिलेगा।

बड़े एक्सप्रेसवे नेटवर्क से कनेक्शन

पानीपत–गोरखपुर एक्सप्रेसवे को कई अन्य नेशनल कॉरिडोर्स से जोड़ने की तैयारी है, जैसे गोरखपुर–सिलीगुड़ी, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, और दिल्ली–मेरठ एक्सप्रेसवे। इन कनेक्शनों से हरियाणा, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच ट्रैफिक नेटवर्क पहले से कहीं तेज़ और सुविधाजनक बनेगा। इससे लॉजिस्टिक कॉस्ट घटेगी और इंटरस्टेट ट्रेड को नई रफ्तार मिलेगी।

समय और लागत दोनों में बचत

यह प्रोजेक्ट लगभग 1500 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने की संभावना है। इसके चालू होने के बाद पानीपत से गोरखपुर का सफर कई घंटों कम हो जाएगा। तेल की खपत घटेगी, वाहनों की मेंटेनेंस कॉस्ट कम होगी और ट्रांसपोर्ट कंपनियों की operating efficiency में सुधार आएगा।
तेज ट्रैफिक के साथ सामान की डिलीवरी समय पर होगी, जिससे ई-कॉमर्स और सप्लाई चेन कंपनियां भी लाभान्वित होंगी।

पिछड़े इलाकों में विकास का नया दरवाजा

इस हाईवे से उन जिलों को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा जो अब तक industrial map से दूर थे — जैसे श्रावस्ती, बहराइच और संतकबीरनगर। बेहतर सड़क संपर्क से शिक्षा, हेल्थकेयर और टूरिज्म के नए अवसर खुलेंगे। साथ ही हाईवे किनारे नई मार्केट्स, होटल्स, सर्विस स्टेशन और ढाबे आने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के बेहतरीन मौके मिलेंगे।

उत्तर भारत की तस्वीर बदलने वाला प्रोजेक्ट

कुल मिलाकर, पानीपत–गोरखपुर हाईस्पीड कॉरिडोर सिर्फ़ रोड इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं, बल्कि balanced regional development का powerful symbol है। यह पश्चिमी और पूर्वी यूपी को एक नई आर्थिक रफ़्तार में जोड़ेगा, जिससे उत्तर भारत का इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक मैप पूरी तरह बदल सकता है। आने वाले समय में यह कॉरिडोर न सिर्फ़ परिवहन का रास्ता होगा, बल्कि प्रगति की असली लाइन बनेगा।

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