
आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 से पहले, देश भर के श्रमिक संगठनों ने वित्त मंत्रालय के समक्ष अपनी प्रमुख मांगों को पुरजोर तरीके से रखा है यूनियनों ने सरकार से दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है, पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत न्यूनतम मासिक पेंशन में पर्याप्त वृद्धि।
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ओपीएस बहाली की मुख्य मांग
श्रमिक प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बजट-पूर्व परामर्श बैठकों में तर्क दिया कि वर्तमान राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आवश्यक वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही है, इसके विपरीत, पुरानी पेंशन योजना (OPS) अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत सुनिश्चित कर एक सुरक्षित भविष्य की गारंटी देती है। संगठनों का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों के बीच ओपीएस की बहाली एक भावनात्मक और आर्थिक मुद्दा बन चुका है, जिसे बजट में संबोधित किया जाना चाहिए।
ईपीएफओ न्यूनतम पेंशन ₹9,000 करने की मांग
एक अन्य प्रमुख मांग कर्मचारी पेंशन योजना-1995 (EPS-95) के लाभार्थियों से संबंधित है। वर्तमान में, ईपीएस-95 के तहत न्यूनतम पेंशन केवल ₹1,000 प्रति माह है, श्रमिक संगठनों ने इस अपर्याप्त राशि को बढ़ाकर ₹9,000 प्रति माह करने की मांग की है, ताकि पेंशनभोगियों को बढ़ती महंगाई के दौर में गरिमापूर्ण जीवन जीने में मदद मिल सके।
अन्य प्रमुख सुझाव
इन मुख्य मांगों के अतिरिक्त, यूनियनों ने सरकार से कई अन्य वित्तीय राहतों की भी अपील की है, जिनमें शामिल हैं:
- कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा योगदान पर आयकर प्रोत्साहन देना।
- संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए आयकर छूट की सीमा और ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा बढ़ाना।
- योजना कर्मियों, जैसे कि आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं, को नियमित सरकारी कर्मचारी का दर्जा देना।
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सरकार का संभावित रुख
हालांकि श्रमिक संगठन इन मांगों पर अड़े हुए हैं, लेकिन केंद्र सरकार का रुख फिलहाल सख्त बना हुआ है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही संकेत दिया था कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का कोई प्रस्ताव सरकार के सक्रिय विचार में नहीं है, क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर भारी और अस्थिर वित्तीय बोझ पड़ेगा, सरकार अंशदान-आधारित पेंशन मॉडल (NPS) को ही भविष्य का रास्ता मानती है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वित्त मंत्री 2025-26 के बजट में इन मांगों के प्रति क्या रुख अपनाती हैं और क्या कर्मचारियों को कोई राहत मिल पाती है।

















