भारत में कैब सेवाओं के भविष्य को लेकर हाल ही में प्रशासन ने कुछ सख्त नियम लागू करने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद, 1 जनवरी 2026 से ओला-उबर जैसी कैब सेवा कंपनियों के लिए नए नियम लागू होंगे, जो कई कैब चालकों और यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आएंगे।

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नए नियमों का मुख्य उद्देश्य
सरकार का यह कदम प्रदूषण नियंत्रण और यातायात नियमों के कड़ाई से पालन को सुनिश्चित करने के लिए है। इसके तहत, पुराने और प्रदूषण करने वाले वाहनों को सड़क से हटाकर केवल पर्यावरण के अनुकूल वाहनों को ही चलाने की अनुमति दी जाएगी। इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को कम करना और यात्रियों को बेहतर, सुरक्षित सेवा प्रदान करना है।
क्या होगा वाहन आयु सीमा?
नए निर्देशों के मुताबिक, कैब सेवाओं में चलने वाले वाहनों की अधिकतम उम्र 8 साल होगी। इससे पुरानी और अधिक प्रदूषित कारें अब कैब सेवा में नहीं चलेंगी। इस कदम का मकसद यह है कि नए और सुरक्षित वाहन ही यात्रियों को मिलें, जो बेहतर सुविधा और कम प्रदूषण के लिए जरूरी है।
कैब ड्राइवरों के लिए क्या है नियम?
- 8 साल से अधिक पुरानी गाड़ियों को 1 जनवरी 2026 के बाद कैब सेवा में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
- कैब चालकों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा, जिससे उनकी सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
- ड्राइवर अब एक से अधिक कैब सेवा प्लेटफॉर्म पर काम कर सकेंगे, जिससे उनकी नौकरी के विकल्प बढ़ेंगे।
- समय के अनुसार बदलते हुए, खास पीक आवर्स में टैक्सी किराया दोगुना वसूलने का विकल्प भी कंपनी और जिला प्रशासन के पास रहेगा।
क्या ओला-उबर पूरी तरह बंद हो जाएंगी?
यह कहना गलत होगा कि 1 जनवरी से ओला-उबर पूरी तरह से बैन हो जाएंगी। दरअसल, वे नए नियमों का पालन करते हुए अपनी सेवाओं को जारी रखेंगी। केवल पुरानी और प्रदूषित गाड़ियों पर प्रतिबंध लगेगा। खास बात यह है कि कई राज्यों में बाइक टैक्सी सेवाओं पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो कैब सेवाओं के रूप-रंग को प्रभावित कर सकते हैं।
सफर के लिए जरूरी तैयारी
जो ड्राइवर अपनी पुरानी गाड़ियों को जल्द नए और पर्यावरण अनुकूल वाहनों से बदल लेंगे, वे भविष्य में बेहतर सेवा संचालन कर पाएंगे। वहीं यात्रियों को भी यह बदलाव प्रभावित करेगा क्योंकि अब सफर के दौरान वाहनों की गुणवत्ता और सेवा मानकों में सुधार देखने को मिलेगा।

















