ATM में दुर्घटना होने पर बैंक की जिम्मेदारी बनी हुई है, और अदालत ने पीड़ित को मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह फैसला उपभोक्ता संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जो साफ करता है कि बैंक ATM में सुरक्षा के प्रति जवाबदेह है। इस लेख में इस मामले की पूरी जानकारी हेडिंग के साथ दी गई है।

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ATM में हादसे का मामला
हाल ही में एक घटना सामने आई जिसमें एक बैंक के ATM में प्रवेश करते ही एक ग्राहक को गंभीर चोटें आईं। ATM का दरवाजा खुलते ही कांच का शीशा टूट गया, जिससे वह घायल हो गया। इस दुर्घटना में उसे अस्पताल में इलाज करवाना पड़ा और इलाज पर भारी खर्च आया।
बैंक की जिम्मेदारी के मामले में विवाद
दुर्घटना के बाद बैंक ने दावा किया कि इस ATM का संचालन एक एजेंसी करती है, इसलिए जिम्मेदारी उस एजेंसी की है। बैंक ने मुआवजे देने से इनकार कर दिया। हालांकि, ग्राहक ने इस मामले को उपभोक्ता आयोग के पास ले जाकर बैंक को जिम्मेदार ठहराया।
अदालत का फैसला: बैंक ही जिम्मेदार
जिला उपभोक्ता आयोग ने मामले की सुनवाई के बाद यह स्पष्ट कर दिया कि एजेंसी बैंक की ओर से अधिकृत होती है, इसलिए बैंक पूरी जिम्मेदारी से बंधा हुआ है। आयोग ने बैंक को आदेश दिया कि वह ग्राहक के इलाज के खर्चे के साथ-साथ उसे मानसिक कष्ट के लिए भी उचित मुआवजा दे। यह फैसला ग्राहक हितों की सुरक्षा का उदाहरण है।
बैंक और ग्राहक के बीच कानूनी समझदारी
ये आदेश इस बात का सबूत हैं कि बैंक को अपने ATM की सुरक्षा और रखरखाव का पूरा ध्यान रखना होगा। अगर सुरक्षा में कोई कमी रह जाती है और ग्राहक को चोट लगती है, तो बैंक को मुआवजा देना अनिवार्य है। इस फैसले से बैंकिंग क्षेत्र में उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूती मिली है।
उपभोक्ता जागरूकता और सुरक्षा
इस मामले से उपभोक्ताओं के लिए संदेश साफ है कि अगर वे बैंक के ATM में किसी प्रकार की दुर्घटना का शिकार होते हैं, तो वे न्यायालय या उपभोक्ता आयोग से न्याय मांग सकते हैं। इससे उपभोक्ताओं की सुरक्षा बेहतर होती है और बैंक को अपने सुरक्षा मानकों को सुधारने के लिए प्रेरणा मिलती है।
इस तरह के फैसले उपभोक्ता अधिकारों को मजबूत करते हैं और बैंकिंग प्रणाली में अनुशासन स्थापित करते हैं। इसलिए, ATM में हुई किसी भी घटना के मामलों में बैंक को जिम्मेदारी से बचना आसान नहीं होगा और उपभोक्ता को उचित मुआवजा मिलना सुनिश्चित होगा।

















