बैंकिंग और वित्तीय लेन-देन में चेक का इस्तेमाल एक आम और भरोसेमंद तरीका रहा है, लेकिन चेक बाउंस की समस्या से लोगों को अक्सर परेशानी उठानी पड़ती थी। अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस समस्या को कम करने और चेक बाउंस को नियंत्रित करने के लिए 2025 में कुछ नए और कड़े नियम लागू किए हैं। ये नियम वित्तीय अनुशासन बढ़ाने और धोखाधड़ी रोकने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। आइए जानते हैं इन नए नियमों की मुख्य बातें और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।

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चेक बाउंस पर त्वरित सूचना अनिवार्यता
नए प्रावधानों के तहत बैंक अब चेक बाउंस होने पर ग्राहक को 24 घंटे के भीतर SMS और ईमेल के जरिए सीधे सूचित करेंगे। इससे ग्राहक तुरंत अपनी स्थिति जान सकेंगे और आवश्यक कार्रवाई कर पाएंगे। इससे पहले यह सूचना मिलने में कई दिन लग जाते थे, जिसके कारण कई बार ग्राहक लापरवाही कर देते थे।
तीन बार बाउंस होने पर खाते का अस्थायी फ्रीज
अगर किसी खाते से लगातार तीन चेक बाउंस होते हैं, तो बैंक को अब उस खाते को अस्थायी रूप से फ्रीज करने का अधिकार प्राप्त हो गया है। यह क़दम वित्तीय अनुशासन बनाए रखने और चेक बाउंस की घटनाओं को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
जुर्माने की राशि में बढ़ोतरी
इस नया नियम चेक बाउंस पर लगने वाले जुर्माने की सीमा बढ़ा कर ₹5,000 तक कर दी गई है। जुर्माना चेक की राशि और स्थिति के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है, जो मामलों को गंभीरता से लेने को प्रेरित करेगा।
कानूनी कार्रवाई में तेजी
पहले के मुकाबले अब चेक बाउंस की शिकायतों का निपटारा 90 दिनों के भीतर करना अनिवार्य होगा। इससे मामले कोर्ट तक पहुंचने से पहले ही सुलझाने में मदद मिलेगी, जिससे अनावश्यक कानूनी जद्दोजहद से बचा जा सकेगा।
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डिजिटल सत्यापन और ई-केवाईसी की भूमिका
RBI ने डिजिटल पहचान और ई-केवाईसी को अनिवार्य कर दिया है ताकि चेक धोखाधड़ी को रोका जा सके। इससे खाताधारक की वास्तविक पहचान सुनिश्चित होगी और फर्जी चेक बाउंस की घटनाओं में कमी आएगी।
चेक बाउंस का क्रेडिट स्कोर पर असर
अब चेक बाउंस का सीधा असर आपके क्रेडिट स्कोर पर भी падेगा। जिससे भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। इस पहल से लोग अपने वित्तीय व्यवहार में अधिक सावधानी बरतेंगे।
बैंक या तकनीकी गलती की छूट
अगर चेक बाउंस बैंक की गलती या तकनीकी कारणों से होता है, तो उसके लिए किसी प्रकार का दंड नहीं लगाया जाएगा। इससे गलतफहमी और अनुचित दंड से बचाव होगा।
नए नियमों की जरूरत क्यों?
बाजार में चेक धोखाधड़ी और बाउंस के मामले बढ़ते जा रहे थे, जिससे व्यापारिक विश्वसनीयता पर प्रभाव पड़ा। इसके अलावा, लंबी कानूनी प्रक्रियाओं के कारण शिकायतकर्ता परेशान होने लगे थे। RBI का यह कदम वित्तीय व्यवस्था को मजबूत करने और सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आवश्यक था।

















