Delhi High Court: किराएदार सावधान! ₹50 हजार जुर्माना, बेदखली का अधिकार नहीं छीना जा सकता

दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में किरायेदारों और मकान मालिकों से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण और सख्त निर्णय सुनाया है, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई किरायेदार किरायेदारी समझौते (tenancy agreement) में उल्लिखित नियमों और शर्तों का उल्लंघन करता है, तो मकान मालिक न केवल उस पर भारी जुर्माना लगा सकता है, बल्कि उसे संपत्ति से बेदखल करने का अधिकार भी नहीं छीना जा सकता है

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Delhi High Court: किराएदार सावधान! ₹50 हजार जुर्माना, बेदखली का अधिकार नहीं छीना जा सकता
Delhi High Court: किराएदार सावधान! ₹50 हजार जुर्माना, बेदखली का अधिकार नहीं छीना जा सकता

दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में किरायेदारों और मकान मालिकों से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण और सख्त निर्णय सुनाया है, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई किरायेदार किरायेदारी समझौते (tenancy agreement) में उल्लिखित नियमों और शर्तों का उल्लंघन करता है, तो मकान मालिक न केवल उस पर भारी जुर्माना लगा सकता है, बल्कि उसे संपत्ति से बेदखल करने का अधिकार भी नहीं छीना जा सकता है।

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क्या है मामला और कोर्ट की मुख्य टिप्पणियाँ?

यह फैसला एक ऐसे मामले में आया है जहाँ किरायेदार ने समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया था, विशेष रूप से संपत्ति को किसी और को किराए पर देने (सबलेटिंग) या उसके उपयोग के संबंध में।

न्यायमूर्ति (Justice) की पीठ ने अपने फैसले में निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया:

  • उच्च न्यायालय ने पुष्टि की है कि किरायेदारी समझौते के उल्लंघन के मामले में मकान मालिक को किरायेदार पर ₹50,000 तक का जुर्माना लगाने का अधिकार है, यह राशि कानूनी कार्यवाही से अलग हो सकती है।
  •  कोर्ट ने यह भी कहा कि किरायेदार द्वारा एक बार भी समझौते की शर्त का उल्लंघन किए जाने पर मकान मालिक का “बेदखली का अधिकार” (Right to Eviction) स्वतः सक्रिय हो जाता है। कानून मकान मालिक के इस अधिकार को कमजोर नहीं कर सकता।
  • अदालत ने इस बात को रेखांकित किया कि किरायेदारी समझौता एक कानूनी दस्तावेज है और दोनों पक्षों (किरायेदार और मकान मालिक) के लिए इसका पालन करना अनिवार्य है।

किरायेदारों के लिए चेतावनी

यह निर्णय उन किरायेदारों के लिए एक बड़ी चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है जो अक्सर लीज एग्रीमेंट में लिखी शर्तों की अनदेखी करते है, यह फैसला मकान मालिकों के हितों की रक्षा करता है और उन्हें अपने संपत्ति के दुरुपयोग या अनधिकृत उपयोग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का कानूनी आधार प्रदान करता है।

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कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले के बाद, मकान मालिक अब किरायेदारी समझौते के उल्लंघन के मामलों में अधिक सख्ती से निपट सकेंगे और किरायेदारों को भविष्य में एग्रीमेंट का पालन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा

Delhi High Court
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