
उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल अब रेलवे की नई लहर में डूबने को तैयार है। सहजनवा से दोहरीघाट तक करीब 81 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन का प्रोजेक्ट तेजी से जमीन पर उतर रहा है, जो गोरखपुर से वाराणसी, प्रयागराज और बिहार तक के सफर को छोटा करने वाला है। कुल 1320 करोड़ रुपये की इस मेगा स्कीम से 11 नए स्टेशन उभरेंगे, और 112 गांवों से 400 हेक्टेयर जमीन ली जाएगी।
Table of Contents
प्रोजेक्ट की पूरी रूपरेखा
यह रेल लाइन तीन फेज में बनेगी, जिसमें पहला फेज सहजनवा से बांसगांव तक के 33 किमी का है, जो 2027 तक चालू हो जाएगा। रेलवे ने स्टेशनों की लोकेशन फाइनल कर ली है, और लैंड एक्विजिशन का सर्वे जोर-शोर से चल रहा है। मिट्टी भराई, ब्रिज और पटरियां बिछाने का काम शुरू हो चुका है, ताकि पैसेंजर ट्रेनें तो दौड़ें हीं, फ्रेट ट्रेनें भी आसानी से गुजर सकें। इससे ट्रेड एंड कमर्स को नई जान मिलेगी।
नए स्टेशनों का जादू
इन स्टेशनों से ग्रामीण इलाके शहरों से सीधे जुड़ जाएंगे। बैदौली बाबू, बांसगांव, ऊरुवा बाजार, बनवारपार, गोला बाजार, भरौली, बड़हलगंज और न्यू दोहरीघाट जैसे नाम सुनते ही लोकल लोगों में उत्साह जाग उठता है। ये स्टेशन न सिर्फ ट्रैवल को आसान बनाएंगे, बल्कि आसपास के बाजारों को बूस्ट देंगे। प्रॉपर्टी वैल्यू बढ़ेगी, और छोटे व्यापारियों को बड़ा मार्केट मिलेगा।
लोकल लोगों को क्या फायदा?
किसानों के लिए तो यह गेम चेंजर है अपनी फसलें जल्दी बाजार पहुंचा सकेंगे, ट्रांसपोर्ट कॉस्ट कम होगा। अफेक्टेड फैमिलीज को मार्केट रेट से ज्यादा कंपेंसेशन मिलेगा, प्लस नई जॉब्स और बेहतर रोड्स का बोनस। दूरस्थ गांव मुख्यधारा से जुड़कर इकोनॉमिकली स्ट्रॉन्ग बनेंगे। बच्चे स्कूल-कॉलेज आसानी से जा सकेंगे, और मेडिकल इमरजेंसी में टाइम बच जाएगा।
विकास की नई कहानी
पूर्वोत्तर रेलवे की यह प्रोजेक्ट यूपी को इंफ्रा हब बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। बिहार बॉर्डर तक कनेक्टिविटी बढ़ेगी, जिससे छपरा-लखनऊ रूट पर वैकल्पिक पैथ मिलेगा। गोरखपुर कंजेशन कम होगा, और रीजनल ग्रोथ को स्पीड मिलेगी। काम शुरू होते ही इलाके में हलचल मच जाएगी – मशीनों की गड़गड़ाहट, वर्कर्स की भीड़, और ट्रेनों की सीटी की उम्मीद। पूर्वांचलवासी इस चेंज को गले लगाएं, क्योंकि यह सिर्फ रेल लाइन नहीं, बल्कि प्रोग्रेस की नई ट्रेन है!

















