
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (PM-EAC) के सदस्य संजीव सान्याल ने भारत के समक्ष आसन्न जनसांख्यिकीय बदलावों और राजकोषीय संकट (fiscal crisis) को लेकर एक गंभीर चेतावनी जारी की है, सान्याल ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि समय रहते नीतिगत सुधार नहीं किए गए, तो गिरती प्रजनन दर और अव्यवस्थित पेंशन योजनाओं के कारण देश को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
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चेतावनी के पीछे की मुख्य वजहें
सान्याल की यह टिप्पणी किसी तत्काल राजनीतिक या सुरक्षा संकट से जुड़ी नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक आर्थिक विश्लेषण पर आधारित है। उनकी चेतावनी के दो प्रमुख स्तंभ हैं:
प्रजनन दर में भारी गिरावट (Falling TFR)
भारत ने राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate – TFR) को प्रतिस्थापन स्तर (Replacement Level, 2.1) से नीचे ला दिया है। इसका अर्थ है कि भविष्य में देश की कामकाजी उम्र की आबादी (working-age population) सिकुड़ने लगेगी और बुजुर्गों का अनुपात बढ़ेगा।
- परिणाम: बच्चों की संख्या कम होने से कई प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या न्यूनतम स्तर से नीचे चली जाएगी, जिससे उन्हें बंद करने की नौबत आ सकती है। केरल और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में यह प्रवृत्ति पहले से ही देखी जा रही है।
पुरानी पेंशन योजनाओं का वित्तीय बोझ (OPS Liability)
सान्याल ने तर्क दिया कि सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन योजनाओं (OPS) को बहाल करने जैसे कदम भविष्य के कामगारों पर भारी वित्तीय बोझ डालेंगे।
- परिणाम: पेंशन का भुगतान मौजूदा कार्यशील आबादी पर कर लगाकर किया जाता है। यदि भविष्य में काम करने वाले युवाओं की संख्या कम होती है, तो उन्हें बड़ी उम्र की आबादी का समर्थन करने के लिए अत्यधिक कर देना होगा।
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“लोग देश छोड़ देंगे” का अर्थ
“लोग देश छोड़ देंगे” वाली टिप्पणी इसी कर-बोझ के संदर्भ में आई है। सान्याल का विश्लेषण है कि जब युवाओं पर आय का एक बड़ा हिस्सा करों के रूप में चुकाने का दबाव बनेगा, तो वे बेहतर आर्थिक अवसरों और कम कर दर वाले देशों की ओर पलायन (migration) करने पर मजबूर हो जाएंगे, इस ब्रेन ड्रेन (brain drain) से देश की अर्थव्यवस्था को अपूरणीय क्षति होगी।
नीतिगत सुधारों की आवश्यकता
संजीव सान्याल की यह चेतावनी मुख्य रूप से राज्य सरकारों और नीति निर्माताओं के लिए एक वेक-अप कॉल है। यह कोई भविष्यवाणी नहीं, बल्कि एक आर्थिक मॉडल-आधारित जोखिम विश्लेषण है, इसका उद्देश्य पुरानी पेंशन योजनाओं की स्थिरता पर पुनर्विचार करने और बदलती जनसांख्यिकी के अनुसार दीर्घकालिक आर्थिक योजनाएं बनाने के लिए प्रेरित करना है।

















