
देश के प्रमुख शहरों जैसे बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद और पुणे में किराए के घरों में रहने वाले लाखों लोगों को अब मनमानी किराया वृद्धि, अत्यधिक सुरक्षा जमा (Security Deposit) और कमजोर किरायेदारी दस्तावेजों जैसी समस्याओं से जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद है।
नए नियमों के तहत अब मकान मालिक और किरायेदार दोनों को रेंट एग्रीमेंट ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा, सिक्योरिटी डिपॉजिट की सीमा तय होगी, किराया कब और कितना बढ़ेगा इसकी स्पष्ट गाइडलाइन होगी। घर खाली करवाने, रिपेयर, इंस्पेक्शन और किरायेदार की सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं को दस्तावेजों में अनिवार्य रुप से शामिल किया जाएगा, विवाद होने पर समाधान की निर्धारित टाइमलाइन भी तय की गई है, इसका सबसे बड़ा फायदा बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद और पुणे जैसे शहरों में रहने वाले करोड़ों किराएदारों को मिलेगा।
यह भी देखें: Free Tablet Yojana 2025: छात्रों को कैसे मिलेगा फ्री टैबलेट? सरकार की पूरी पहल और पात्रता जानें
Table of Contents
मकान मालिकों की सुरक्षा भी शामिल
इन सुधारों का उद्देश्य सिर्फ किरायेदारों की सुरक्षा नहीं, बल्कि मकान मालिकों को विश्वास और कानूनी सुरक्षा देना भी है, नए सिस्टम में रेंट एग्रीमेंट पर डिजिटल स्टैम्प लगाना अनिवार्य होगा और इसे साइन करने के 60 दिनों के भीतर ऑनलाइन रजिस्टर कराना होगा, नियम न मानने पर कम से कम ₹5,000 का जुर्माना लगाया जा सकता है, सरकार ने राज्यों को अपने प्रॉपर्टी-रजिस्ट्रेशन पोर्टल अपग्रेड करने और तेज डिजिटल वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरु करने के निर्देश दिए हैं ताकि धोखाधड़ी, अवैध बेदखली और पुरानी तारीख वाले फेक एग्रीमेंट जैसी समस्याओं का अंत किया जा सके।
क्या हैं समाधान और नए प्रावधान?
मॉडल टेनेंसी एक्ट के तहत कई ऐसे प्रावधान सुझाए गए हैं, जिन्हें राज्य सरकारें कानून बनाकर लागू कर सकती हैं:
- : एक्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आवासीय संपत्तियों के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट की राशि अधिकतम दो महीने के किराए तक सीमित होनी चाहिए। इससे किरायेदारों पर शुरुआत में पड़ने वाला भारी वित्तीय बोझ कम होगा।
- मकान मालिक अब अचानक या मनमाने ढंग से किराया नहीं बढ़ा सकेंगे। किराए में बदलाव केवल लिखित समझौते के अनुसार और निर्धारित नोटिस अवधि के बाद ही किया जा सकेगा।
- सभी किरायेदारी समझौतों को लिखित में और संबंधित किराया प्राधिकरण (Rent Authority) के पास पंजीकृत (register) कराना अनिवार्य होगा। इससे कानूनी दस्तावेज़ मजबूत होंगे और विवाद की स्थिति में दोनों पक्षों के पास स्पष्ट प्रमाण होंगे।
- एक्ट में त्वरित विवाद समाधान के लिए विशेष ‘किराया प्राधिकरण’ और ‘किराया न्यायालय’ (Rent Courts) स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिससे मामलों का निपटारा जल्द हो सके।
यह भी देखें: Pashupalan Loan Scheme: पशुपालन के लिए सरकार दे रही बंपर सब्सिडी और लोन, पूरी स्कीम की डिटेल एक जगह देखें
हालांकि यह कानून केंद्र सरकार द्वारा सीधे लागू नहीं किया गया है, लेकिन राज्य सरकारें इसे अपनाकर अपने यहां किरायेदारी कानूनों में सुधार कर रही हैं, जिससे आने वाले समय में देश भर के किरायेदारों की मुश्किलें कम होंगी

















